तनहा अकेले बैठ कर सोचता हु बस यही
कैसे सुलझेगी ये ज़िंदगी की उलझन
"चले थे हम साथ इस सफर मे,
पता नही कब साथ छूट गया तुम्हारा
तुम तो दूर निकल गए
मे अब भी इंतज़ार कर रहा हु
उसी मोर पे तुम्हारा "
सुना है वक़्त इंसान बदल देता है
आज पहली बार देख रहा हु
तूने वक़्त ही बदल दिए
" मंज़िल की तलाश तुम्हे भी है
मंज़िल की तलाश मुझे भी है
बस फर्क़ इतना है
तुम्हारी मंज़िल कही और है
मेरी मंज़िल बस तुम "
तनहयो से लड़ना आता है और वक़्त भी बदलना
आज मे मजबूर हू कल वक़्त होगा
सायद यही मुकदार है पर
ये मत समझ लेना
" मंज़िल ना मिले तो टूट जाऊग मे
अपनी किस्मत ना सही
तुम्हारी किस्मत बदल जाऊगा मे
मंज़िल पा कर भी खुश ना रह पाओगे
दिल की किसे कोने मे ज़िंदा रह जाऊगा मे "
:- Gautam raj
कैसे सुलझेगी ये ज़िंदगी की उलझन
"चले थे हम साथ इस सफर मे,
पता नही कब साथ छूट गया तुम्हारा
तुम तो दूर निकल गए
मे अब भी इंतज़ार कर रहा हु
उसी मोर पे तुम्हारा "
सुना है वक़्त इंसान बदल देता है
आज पहली बार देख रहा हु
तूने वक़्त ही बदल दिए
" मंज़िल की तलाश तुम्हे भी है
मंज़िल की तलाश मुझे भी है
बस फर्क़ इतना है
तुम्हारी मंज़िल कही और है
मेरी मंज़िल बस तुम "
तनहयो से लड़ना आता है और वक़्त भी बदलना
आज मे मजबूर हू कल वक़्त होगा
सायद यही मुकदार है पर
ये मत समझ लेना
" मंज़िल ना मिले तो टूट जाऊग मे
अपनी किस्मत ना सही
तुम्हारी किस्मत बदल जाऊगा मे
मंज़िल पा कर भी खुश ना रह पाओगे
दिल की किसे कोने मे ज़िंदा रह जाऊगा मे "
:- Gautam raj
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