Monday, 14 March 2016

मंज़िल

 तनहा अकेले बैठ कर सोचता हु बस यही
   कैसे सुलझेगी ये ज़िंदगी की उलझन

     "चले थे हम साथ इस सफर मे,
 पता नही कब साथ छूट गया तुम्हारा
         तुम तो दूर निकल गए
    मे अब भी इंतज़ार कर रहा हु
         उसी मोर पे तुम्हारा "

    सुना है वक़्त इंसान बदल देता है
       आज पहली बार देख रहा हु
         तूने वक़्त ही बदल दिए

   "  मंज़िल की तलाश तुम्हे भी है
      मंज़िल की तलाश मुझे भी है
            बस फर्क़ इतना है
      तुम्हारी मंज़िल कही और है
        मेरी मंज़िल बस  तुम "

 तनहयो से लड़ना आता है और वक़्त भी बदलना
    आज मे मजबूर हू कल वक़्त होगा
       सायद यही मुकदार है पर
        ये मत समझ लेना

  " मंज़िल ना मिले तो टूट जाऊग मे
        अपनी किस्मत ना सही
    तुम्हारी किस्मत बदल जाऊगा मे
  मंज़िल पा कर भी खुश ना रह पाओगे
दिल की किसे कोने मे ज़िंदा रह जाऊगा मे "
                                                                :- Gautam raj

Sunday, 6 March 2016

फर्यादे इश्क़

     फर्यादे इश्क़ भी किया अजीब है
सर सजदे मे झुका और दिल मे मोहबत
      फिर भी दुआ काबुल नही होती

    शायद इश्क़ की यही दस्तूर है
        तुम्हे पा ने की चाहत मे
हमेसा क़तल हमारी मोहबत का ही होता है

"एक बार फिर से देख कर आज़ाद कर दे मुझे
  मैं आज भी तेरी पहली नज़र मैं कैद हूँ "

            मैं ये नही कहता
         तुम हमारे हो जाओ
       बस इतनी इज़ाजत दे
तुम्हे अपनी नज़रो मे भर ता उम्र ज़ी सकु


      "जरुरी नही हर इश्क़ मुकमल हो जाये
   जरुरी ये भी नही हर इबादत काबुल हो जाये
जरुरी तो बस इतना है फ़ासले कितना भी हो एहसास काम न हो जाये "

       तुम्हारे यादें काफ़ी है
  हमारी दिल की धड़कन के लिए
  बस इतना सा हक़ मुझे दे दो
दूर जाने से पहले एक बार अपना तो कह दो
                                                                                     :- Gautam Raj