Wednesday, 19 August 2015

NADAN DIL

मैं खुश था , हैरान था , परेशान था
मेरी ज़िंदगी मैं आये  वो  इस तरह
अब तो पूरी दुनिया मेरी थी !

जब से पहली नज़र पारी थी उनपे
मैं दीवाना हो गया था !
बैचैनी का आलम इतना बढ़ गया था
अब तो मैं पागल भी हो रहा था !

उन्हें तो एहसास भी नही था
वो किया कर गुजरे थे इस नादान
दिल पे , उनके जुल्फों की वो
बलखाती मस्तिया , उनके आवाज़
की वो मधुर स्वर जिसे सुन मैं
मंत्रमुग्ध हो जाया करता था .

हमें तो होश भी नही था
इतना खो चुके थे उनमे ,
इस बंजर ज़मीं पर कितने फूल
खिल चुके थे, हमें तो खुद पे
इतना गुमान था वो हमारी है !

सारे भ्रम टूटे , मैं होश मे आया
सारी दुनिया तो एक छलावा है
मैं कल भी सैकड़ो की भीड़ मे
खरा था , मै आज भी सैकड़ो की
भीड़ मे खरा हूँ !

                                                                                                 :- Gautam Raj
 कल से एक नयी कहानी मेरी जुबानी ( दिल से दिल तक )

यह मेरा पहला ब्लॉग है अगर कोई त्रुटि हो तो आप अपना सुझाओ दे

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