Friday, 17 February 2017

मेरी आखरी दुआ

खुवाबो को हकीकत बना न सका मे
सारे अरमान बिखरते चले गए और मे टूटता..

आँसू भी शुख चुकी थी इन पलकों पे
शायद अब न कोई उमीद थी ..

चलते वक़्त को रोक सकता मे
बिखरते उमीदो संझो सकता मे ..

अब  तो इस धड़कनो का भी भरोसा नही
कब साथ छोर जाये ..

तेरे जाने से पहले मेरी आखरी दुआ
मेरी मौत काबुल हो जाये..
                                        :-Gautam raj